Bihar Elections 2024 Congress Strategy for Seat Sharing with RJD.

बिहार में कांग्रेस ने पहले खुद को मजबूत करने की प्रक्रिया शुरू की और उसके बाद फिर विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राह पर चलने का ऐलान किया. कांग्रेस ने आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. कांग्रेस के रणनीतिकारों ने तय किया है कि इस बार सम्मानजनक सीटों के साथ चुनाव लड़ेंगे और नंबर गेम में फंसने के बजाय जीत की गारंटी वाली सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस की नजर एम-वाई समीकरण वाली सीटों पर है, जिसकी सौदेबाजी आरजेडी के साथ मजबूत से करेगी?

कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि बिहार कांग्रेस आगामी चुनाव में इंडिया गठबंधन के अपने साथियों के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेगी. इस तरह कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि बिहार में आरजेडी, वामपंथी दल और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के साथ किस्मत आजमाएगी. सीट बंटवारे पर कहा कि सीट बंटवारे की प्रक्रिया गठबंधन का एक हिस्सा है, जो समय के साथ तय होगी. कांग्रेस ने ये नहीं बताया कि वो कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि आरजेडी की तरफ से सीट शेयरिंग के फार्मूले का संकेत कांग्रेस नेतृत्व को दे दिया है.

नंबर के फेर में नहीं फसेंगी कांग्रेस

बिहार में आरजेडी के साथ मिलकर कांग्रेस ने चुनाव लड़ना तय कर लिया है, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर फॉर्मूला सामने नहीं है. 2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 19 सीटें ही जीतने में कामयाब रही है. माले 19 सीट पर लड़कर 12 जीती तो आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीटों पर जीत हासिल की थी.

तेजस्वी कई कार्यक्रमों में खुलकर कह चुके हैं कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर किसी के कहने से कुछ नहीं होगा, जिसका जैसा जनाधार होगा उसको वैसे सीट दी जाएंगी. तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर कहा था कि हम सीटों को लेकर फीडबैक लेंगे उसके बाद ही इस पर सभी के साथ मिलकर कुछ भी तय किया जाएगा.

आरजेडी ने पिछली बार 70 सीटें कांग्रेस को दी थी, लेकिन इस बार 40 से 50 सीट ही देना चाहती है. कांग्रेस सीट शेयरिंग पर सम्मानजनक सीट और उसके लिए लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को आधार बनाने की बात कर रही है. कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो पार्ट इस बार नंबर गेम में नहीं फंसना चाहती है, कांग्रेस वे सीटें चाहती है, जिस पर जीत उसकी आसान हो सके. कांग्रेस का उद्देश्य अपनी पसंद की सीटें हासिल करना है, जो पिछली बार के चुनाव में नहीं हो पाया था. इस बार कांग्रेस ने प्लान बनाया है कि आरजेडी के मर्जी की सीटों के बजाय अपनी पसंद की सीटें लेगी. पसंद की सीटें मिलती हैं तो वह कुछ सीटों पर समझौता करने को तैयार है.

2020 वाली गलती नहीं दोहराएगी कांग्रेस

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें आरजेडी ने दी थी, उसमें 45 सीटें एनडीए के मजबूत गढ़ की सीटें थीं, जिन्हें कांग्रेस पिछले चार चुनावों में नहीं जीत सकी थी. इन सीटों पर बीजेपी जीत रही थी या फिर उसके सहयोगी दल जेडीयू. कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी भी इन सीटों पर लंबे समय से जीत नहीं सकी थी. इसके अलावा 23 सीटें ऐसी थी, जिस पर कांग्रेस के विधायक थे. इस तरह से कांग्रेस को काफी मुश्किल भरी सीटें मिली थी. वहीं, आरजेडी ने उन सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिस पर एम-वाई समीकरण मजबूत स्थिति में था. कांग्रेस ने इस बार 2020 के चुनाव वाली गलती नहीं दोहराना चाह रही है. ऐसे में कांग्रेस की नजर उन सीटों पर है, जहां पर उसके जीत की संभावना ज्यादा हो.

M-Y फार्मूले वाली सीट पर कांग्रेस की नजर

बिहार में नंबर के फेर में कांग्रेस इस बार नहीं फसेंगी. कांग्रेस पद यात्रा के जरिए उन सीटों को चिह्नित करेगी जो एमवाई समीकरण और कांग्रेस के विरासत वाली रही है. इस तरह कांग्रेस ने बिहार में मुस्लिम-यादव वाली सीटों के सेलक्शन करने में जुट गई है. 2024 के चुनाव में भी कांग्रेस को उन्हीं सीट पर जीत मिली है, जहां यादव और मुस्लिम वोटर अहम रहे हैं. बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का कोर वोटबैंक यही दोनों है. इस बार कांग्रेस ने अपना फोकस दलित वोटों पर भी किया है, जिसके लिए दलित, मुस्लिम और यादव बहुल वाली सीटों की तलाश में है.

2010 में कांग्रेस ने आरजेडी से अलग लड़कर देख लिया है. उस समय उसका स्वर्ण काल था. 2009 के लोकसभा में वह 200 से ऊपर सीटें लेकर 2004 के मुकाबले बहुत कंफर्टेबल पोजीशन में आई थी, लेकिन अकेले लड़कर वह 2010 विधानसभा में अपनी सबसे कम सीटों केवल चार पर आ गई थी. फिर 2015 विधानसभा में साथ लड़ी और 27 ले आई जबकि 2020 में उसे 19 सीटें मिलीं.

कांग्रेस ने दिल्ली में अपने खोए हुए जनाधार को पाने के लिए जो फार्मूला अपनाया था. उसी रणनीति पर बिहार में चुनाव लड़ने की स्ट्रैटेजी पर काम कर रही है. कांग्रेस का फोकस दलित, मुस्लिम और यादव बहुल वाली सीटों पर है, जिनको कांग्रेस हर हाल में आरजेडी से लेना चाहती है.

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